लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी | Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi
सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसा व्यक्तित्व जिनकी ख्याति किसी शूरवीरों से कम न थी। इन्होंने 200 वर्षो की गुलामी में फंसे देश के अलग-अलग राज्यों को भारत में विलय करवाया। यह इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी। जिसके बाद यह लौह पुरुष कहलाने लगे। सरदार पटेल आजादी के बाद उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में कार्य किया।
पुरा नाम - सरदार वल्लभ भाई पटेल
जन्म - 31 अक्टूबर 1975
पिता - झावेरभाई पटेल
माता - लाडबाई
पत्नी - झावेरवा
संतान - दहयाभाई पटेल और मणिबेन पटेल
मृत्यु - 15 दिसंबर 1950
सम्मान - भारत रत्न
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में नादियाड जिले के एक जमींदार घर में हुआ था। उनके पिता का नाम झावेरभाई पटेल था। जो एक किसान थे। और माता का नाम लाडबाई था। जो अध्यात्मिक और साधारण महिला थी। सरदार पटेल की शादी महज 16 साल की उम्र में 1891 में झावेरबा नामक कन्या से कर दी गई। जिनसे उन्हें दहयाभाई और मणिबेन पटेल नाम की दो संतानें प्राप्त हुईं।
सरदार पटेल अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजराती मिडीयम स्कूल से किये इसके बाद वे अंग्रेजी मिडीयम स्कूल में एडमिशन ले लिये, 1897 में 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास किए। काॅलेज की पढ़ाई आर्थिक तंगी के कारण घर पर रहकर और दुसरे से पुस्तक उधार लेकर पुरा किये। और अच्छे अंक से पास हुए। इसके बाद 1910 में लाॅ की डिग्री प्राप्त करते के लिए इंग्लैंड चले गए। साल 1913 में सरदार पटेल लाॅ की पढ़ाई पूरी की और काॅलेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद स्वदेश लौट आए और अहमदाबाद में प्रेक्टिस शुरू करदी और जल्द ही देश के अग्रिम पंक्ति के क्रिमिनल लॉयर बन गए, मार्च 1914 में इनके पिता झावेरभाई का देहांत हो गया।
स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति जीवन
सरदार पटेल गांधी जी के विचारो से काफी प्रभावित थे। 1917 में सरदार पटेल खेड़ा आंदोलन में किसानों का नेतृत्व किया। और कर न देने के लिए प्रेरित किये। जिसके बाद अंग्रेजों ने कर माफ कर दिया। यह उनकी पहली सफलता थी। जिसके बाद उन्हें सरदार की उपाधि प्राप्त हुई। सरदार पटेल 1920 में असहयोग आंदोलन में गांधी जी के साथ उन्होंने स्वदेशी खादी वस्तुओं को अपनाने पर जोर दिया और विदेशी कपड़ो की होली जलाई।
इसके अलावा सरदार पटेल ने गांधी जी के शांतिपूर्ण तरीके से किए गए देशव्यापी आंदोलन जैसे स्वराज आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, दांडी यात्रा समेत तमाम आंदोलनों में उनका सहयोग दिया। इनकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी, इन्होने लगातार नगर के चुनाव जीते और 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. 1920 के आसपास के दशक में पटेल ने गुजरात कांग्रेस को ज्वाइन किया, जिसके बाद वे 1945 तक गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे।
भारत की आजादी के महानायक महात्मा गांधी के प्रभावशाली विचारों से प्रेरित होकर वल्लभभाई पटेल ने छूआछूत, जातिवाद, महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए।
देशी रियासतों को भारत को भारत में विलय
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो इनमें 565 रियासतें राजाओं के पास थी जो एक अलग देश बनाना चाहते थे। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी बुद्धिमत्ता से, और बिना बल प्रयोग के भारत में विलय करवाया था। तब गांधी जी ने कहा था यह काम सिर्फ सरदार पटेल ही कर सकते थे।
इस महान काम के लिए उन्हें "लौह पुरुष" का उपाधि दी गई।
सरदार पटेल की मृत्यु
30 जनवरी 1948 में महात्मा गांधी सरदार पटेल से मिलकर बिरला भवन जा रहे थे तभी उनकी हत्या कर दी गई। जिसके बाद सरदार पटेल की तबीयत खराब रहने लगा। और 15 दिसंबर 1950 में उन्हें हार्ट अटैक आया जिसके चलके इस महान आत्मा का निधन हो गया।
सरदार पटेल का सम्मान
सरदार पटेल को भारत सरकार द्धारा 31 ऑक्टूबर 1965 को, सरदार पटेल के स्मारक के रुप में डाक टिकट जारी किया गया।
और उन्हे 1991 में मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से नवाजा गया।
लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के स्मारक के रुप में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाई गई। जिसकी ऊंचाई करीब 182 मीटर है। उनके जन्मदिन 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रुप में घोषित कर दिया गया।
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