रवीन्द्रनाथ टैगोर का जीवनी || Rabindranath Tagore Biography In Hindi

रवीन्द्रनाथ टैगोर एक महान कवि, साहित्यकार, समाज सुधारक और दार्शनिक थे। वे  साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर दो देश भारत और बांग्लादेश के राष्ट्र गान के रचयिता हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला साहित्य से भारतीय संस्कृति की अच्छाइयों को पश्चिम में और वहां कि अच्छाईयो को यहां लाने में प्रभावशाली भुमिका निभाई। वे  8 वर्ष के थे तभी अपना पहला कविता लिखे थे।
पुरा नाम           -  रवीन्द्रनाथ टैगोर
उपनाम             -  गुरुदेव ( यह नाम महात्मा
                               गांधी ने दिया था। ) 
जन्म                 -  7 मई 1861 , कोलकाता
पिता                 -  देवेन्द्रनाथ टैगोर ( समाज सुधारक )
माता                 -  शारदा देवी
पत्नी                 -  मृणालिनी देवी
कार्य                  -  कवि, लेखक, संगीतकार, चित्रकार, 
सम्मान               - नोबेल पुरस्कार ( 1913 )
भाषा                  -  बांग्ला, अंग्रेजी
मृत्यु                   - 7 अगस्त 1941 , कोलकाता


रवीन्द्रनाथ टैगोर का प्रारंभिक जीवन ( The early life of rabindranath tagore )
रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकात्ता के जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में एक बंगाली सम्पंन परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था। जो एक समाज सुधारक थे। टैगोर के माता का नाम शारदा देवी था। टैगोर तेरह भाई बहनों में से सबसे छोटे थे। टैगोर के माता का देहांत उनके बचपन में हो गया था। और पिता ब्रम्ह समाज के वरिष्ठ नेता थे जिसके कारण वे व्यापक रूप से यात्रा करते रहते थे। जिसके चलते टैगोर का लालन-पालन नौकरो द्वारा किया गया।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा ( The teaching of rabindranath tagore )
रवीन्द्रनाथ टैगोर बचपन से ज्ञानी थे। उनका प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुआ था। उनका भाई हेमेंद्र नाथ उन्हें पढ़ाते थे। पढ़ाई के साथ-साथ टैगोर को तैराकी, कसरत, जुड़ो, कुश्ती भी सिखाया जाता था। इसके बाद टैगोर को कोलकाता के प्रसिद्ध स्कूल सेंट जेवियर्स में दाखिला कराया गया। टैगोर को बचपन से साहित्य में रूचि था। लेकिन उनके पिता उनको बैरिस्टर बनाना चाहते थे। इसलिए सन 1878 में टैगोर को लंदन विश्वविद्यालय में दाखिला कराया गया। लेकिन टैगोर को बैरिस्टर बनने में रूचि नहीं था। वे सन् 1880 बैरिस्टर की पढ़ाई छोड़कर वापस कोलकाता आ गए।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का परिवार ( The family of rabindranath tagore )
टैगोर का परिवार एक कुलिन बंगाली हिन्दू परिवार था। उनके पिता एक समाज सुधारक थे जो ब्रम्ह समाज से जुड़े थे। टैगोर के सबसे बड़ा भाई द्विजेन्द्रनाथ एक दार्शनिक और कवि थे। दुसरा बड़ा भाई सत्येन्द्रनाथ टैगोर भारतीय सिविल सेवा में काम करने वाले पहले भारतीय नागरिक थे। टैगोर के एक और भाई ज्योतिन्द्रनाथ संगीतकार और नाटककार थे। और टैगोर की बहन स्वर्णकुमारी एक प्रसिद्ध कवियित्री और उपन्यासकार थी।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की पत्नी ( The wife of rabindranath tagore )
रवीन्द्रनाथ टैगोर का शादी 1883 में मृणालिनी देवी से हुआ उस समय मृणालिनी देवी ग्यारह वर्ष के थी। मृणालिनी देवी खुल्ला जिले की थी। उनके पिता टैगोर एस्टेट में काम करते थे। सन 1902 में मृणालिनी देवी को लम्बी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। टैगोर और मृणालिनी से पांच संतान हुआ जिसमें दो को बचपन में मृत्यु हो गई।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाएं ( Literary works of rabindranath tagore )
टैगोर आठ वर्ष के उम्र में कविता लिखे थे। और 16 वर्ष के उम्र में 1977 में एक लघुकथा प्रकाशित हुआ था। भारतीय संस्कृति चेतना में जान फुंकने वाले टैगोर साहित्य की शायद ही ऐसी कोई शाखा हो, जिनमें उनकी रचना न हो - कविता, गान, कथा, उपन्यास, नाटक, प्रबन्ध, शिल्पकला - सभी विधाओं में उन्होंने रचना की। उनकी प्रकाशित कृतियों में गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका आदि शामिल हैं। उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। अंग्रेज़ी अनुवाद के बाद उनकी प्रतिभा पूरे विश्व में फैली। गीतांजलि के लिए सन 1913 में साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला जो कि एशिया मे प्रथम विजेता साहित्य मे है। 

रवीन्द्रनाथ टैगोर का कार्य ( The act of rabindranath tagore )
टैगोर कभी न रूकने वाले आदमी थे। वे अपने जीवन काल में कई उपन्यास, कविता, निबंध, लघुकथा, यात्रावृत्तांत, नाटक और हजारों गाने लिखे। टैगोर अपने जीवन के अंतिम दिनों में चित्र बनाते थे । जिसमें वे मनुष्य और ईश्वर के बीच चिरस्थाई सम्पर्क दर्शाते थे। 1901 में टैगोर शांतिनिकेतन का स्थापना किया। जिसमें कला, चित्र, नाटक आदि की पढ़ाई होती थी। आज भी शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में कला, संस्कृति, नाटक और रंगमंच आदि की पढ़ाई होती है

रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी का सम्बंध (Relation of rabindranath tagore and Mahatma Gandhi)
रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी के विचारों में काफी मतभेद था। टैगोर सबसे पहले मानवता को रखतें थे लेकिन गांधी जी सबसे पहले राष्ट्रवाद को रखतें थे। विचारो में मतभेद होने के बाद भी दोनों एक-दूसरे को काफी सम्मान करते थे। रवीन्द्रनाथ टैगोर ही सर्वप्रथम गांधी जी को महात्मा गांधी कहा था। टैगोर को गुरूदेव नाम गांधी जी ने सर्वप्रथम दिया था।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का मृत्यु  ( The death of rabindranath tagore )
रवीन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसा व्यक्तित्व थे । जिसने अपने प्रकाश से सर्वत्र रोशनी फैलाई। उनको बांग्ला साहित्य का जनक कहा जाता है। ऐसी महान आत्मा को 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में निधन हो गया। वे मरकर भी हमारे बीच हमेशा के लिए अमर हो गए।

सम्मान 
रवीन्द्रनाथ टैगोर को 1913 में उनकी रचना गीतांजलि के नोबेल पुरस्कार दिया गया।
1915 में राजा जार्ज पंचम ने टैगोर को नाइटहुड पदवी से सम्मानित किया था। लेकिन 1919 में जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे वापस कर दिया था।

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