इंदिरा गांधी की जीवन परिचय

भारत के पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी ने देश में महिला सशक्तिकरण के उदाहरण है। वे 1966 से 1977 तक और 1980 से अपने मृत्यु 1984 तक भारत का प्रधानमंत्री रहीं। उन्होंने अपने पिता के बाद सबसे ज्यादा समय तक भारत का प्रधानमंत्री रहीं। इंदिरा गांधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए भारत और विश्व के इतिहास में जानी जाती हैं  इंदिरा गांधी के शासन के समय एक नया देश बंगलादेश बनाया। जिसके लिए उनको सन् 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आज़ाद करवाने के लिए मेक्सिकन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

प्रारम्भिक जीवन

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में आंनदभवन प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका पूरा नाम है इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी है। इसके दादा मोतीलाल नेहरू एक राष्ट्रवादी नेता और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे। और पिता का नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू था। जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे बड़े नेता और आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। माता का नाम कमला नेहरू था। जो दिल्ली के प्रतिष्ठित कौल परिवार की पुत्री थीं। इंदिरा अपने माता-पिता के इकलौते संतान थी। वह बचपन में काफी चंचल और सबके बहुत प्यारी थी। अपने दादा जी और पिताजी के इंदिरा के अंदर देशप्रेम की भावना कुट कुट भरा था। वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन देख के बड़ी हुई थी। जब इंदिरा पांच साल की थी तो समय महात्मा गांधी ने विदेशी सामानों को बहिष्कार करने के लिए आंदोलन शुरू किया था। यह देखकर इंदिरा ने अपने पसंदीदा गुड़िया जो विदेश से उनके बुआ लेकर आई थी उसे जलाकर विदेशी सामानों का बहिष्कार किया।

इंदिरा गांधी की शिक्षा

इंदिरा गांधी की पढ़ाई देश विदेशों के अच्छें स्कूलों में हुआ है। उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू शिक्षा का महत्त्व काफ़ी अच्छी तरह समझते थे। इसलिए इंदिरा को घर पर ही पढ़ाने के लिए शिक्षक आते थे। इंदिरा को गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित ‘शांति निकेतन’ के ‘विश्व-भारती’ में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पढ़ने के लिए भेजा। जहां गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने इंदिरा को इंदिरा प्रियदर्शिनी नाम दिया। इसके बाद इंदिरा ने लन्दन के बैडमिंटन स्कूल और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने गई। इंदिरा गांधी औसत दर्जे की छात्रा थी।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

इंदिरा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को बचपन से देखकर बड़ी हुई है। उनका पुरा परिवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। इंदिरा बचपन से गांधी जी के बहुत करीब थी। उन्होंने बचपन में लोगों की मदद करने के लिए वानर सेना बनाई थी। जो झंडा जुलूस और विरोध प्रदर्शन साथ साथ कांगेस के नेताओं की मदद में संवेदनशील प्रकाशनों तथा प्रतिबंधित सामग्रीओं को ले जाने में मदद करते थे। सन् 1930 में इंग्लैंड में अपने पढ़ाई के दौरान इंदिरा गांधी स्वतंत्रता के प्रति कट्टर समर्थक भारतीय लीग की सदस्य बनीं थीं। सन् 1942 में महात्मा गांधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया। जिसमें सभी कांग्रेसी नेता ने पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह किया गया। उसी समय इंदिरा को बिना आरोप के जेल में डाल दिया गया वह जेल में 243 दिन रही। सन् 1947 में भारत विभाजन के समय इंदिरा ने पाकिस्तान से आए शारणार्थियो को शिविर में जाकर चिकित्सा संबंधी देखभाल में मदद की।

इंदिरा गांधी की राजनीति करियर

इंदिरा गांधी ने बचपन राजनीति देखी थी। और देश और यहाँ की राजनीति में रूचि भी थी। भारत में पहली बार 1951-52 में आम चुनाव हुआ जिसमें इंदिरा गांधी ने अपने पिता और पति के लिए चुनावी रैलियां किया था। इंदिरा गांधी 1959-60 में चुनाव लड़ी और कांग्रेस के अध्यक्ष बनीं। वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रमुख एडवाइजरी थी। सन् 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु के बाद नय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर इंदिरा गांधी ने चुनाव लड़ी और तत्काल सूचना और प्रसारण मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। 

प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी

सन् 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सोवियत संघ के मध्यस्थता में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आयूब खान ने भारत के साथ ताशकंद में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ समय बाद ही भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का मृत्यु हो गया। जिसके बाद 1966 में इंदिरा गांधी चुनाव लड़ी और जीती जिसके बाद वह भारत के चौथा और पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। सन् 1969 में इंदिरा गांधी ने बैंकों का एकीकरण किया। सन् 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ जिसमें बाद पुर्वी पाकिस्तान को एक नया देश बंगलादेश बनाया। इंदिरा गांधी ने देश के लिए एक परमाणु कार्यक्रम शुरू किया जो साल 1974 में पहली राजस्थान के पोखरण में परिक्षण किया गया। जिसके बाद भारत परमाणु सम्पन्न देश बना। इंदिरा गांधी ने देश में हरित क्रांति पर भी बहुत जोर जिसके बाद भारत में हमेशा से चले आ रहे खाद्द्यान्न की कमी को, मूलतः गेहूं, चावल, कपास और दूध के अतिरिक्त उत्पादन होने लगा। और भारत अनाज का निर्यात करने लगा ।

इंदिरा गांधी ने आपातकाल क्यो लगाया ?

सन् 1975 में बढ़ती मुद्रास्फीति और लुढ़की अर्थव्यवस्था के खिलाफ इंदिरा गांधी कि सरकार के खिलाफ विरोधी और सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रर्दशन करना शुरू कर दिया था। इसके बाद इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद इंदिरा गांधी के इस्तीफे के लिए प्रर्दशन और तेज हो गया। जिसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद से आपातकाल लगाने कि सिफारिश किया। 26 जून 1975 को धारा-352 के अनुसार देश में अशांत राजनीतिक स्थिति के कारण राष्ट्रपति ने आपातकाल घोषित कर दिया। जिसके बाद देश में अशांति मचानेवाले ज्यादातर विरोधियों के गिरफ्तारी कर लिया गया। जनता की आजादी छीन ली गई और प्रेस को लिमीट में रखा गया 1977 में आपातकाल हटने के बाद देश में चुनाव हुआ जिसमें इंदिरा गांधी के सरकार की हार हुई और जनता दल का सरकार बना। जनता पार्टी के आंतरिक कलह के कारण 1980 में इंदिरा गांधी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनी और अपनी मृत्यु 1984 तक रही।

इंदिरा गांधी की मृत्यु

सितंबर 1981 में पंजाब के सिख अलगाववादी आंतकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के समुह ने सिखों के पवित्र धर्म स्थल स्वर्ण मंदिर में कब्जा कर लिया था। इंदिरा गांधी ने आतंकवादियों का सफया करने के लिए सेना को धर्मस्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया। जबकि स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति थी। सेना ने आंतकवादियों को मारने में सफल रही। इस आपरेशन को ब्लू सरकार के नाम से जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर में खुन खराबा होने के कारण  इंदिरा गांधी के प्रति सिख लोगों में बहुत गुस्सा था। इसी कारण इन्दिरा गांधी के सिख बाॅडीगाॅड में से दो सतवंत सिंह और बेअन्त सिंह, ने 31 अक्टूबर 1984 को वे अपनी सरकारी हथियारों से सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी पर बेअन्त सिंह ने तीन गोलियां चलाई और सतवंत सिंह ने एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली मारा। इंदिरा गांधी के अन्य अंगरक्षकों द्वारा बेअंत सिंह को गोली मार दी गई और सतवंत सिंह को गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया गया। इंदिरा गांधी को अस्पताल ले जाते समय बिच रास्ते में दम तोड़ दिया। इस तरह 31 अक्टूबर 1984 को एक महान आत्मा हमेशा के लिए अमर हो गया। इंदिरा गांधी के हत्या के बाद भारत के अनेक शहरों में हिंसा भड़क उठी जहां हजारों सिखों को मार दिया गया।

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